Wednesday, November 23, 2022

हिन्दी ग़ज़ल 'शहर की शाम'

फैला दो पैगाम हमारे शहर में
भीषण लगा है जाम हमारे शहर में

धूप में हो बारिश सर्दी में चले पंखा 
 किस्से हैं यूँ तमाम हमारे शहर में

माथे में दर्द हो या पैरों में हो खिंचाव 
राखी है झंडू बाम हमारे शहर में

मूली यहाँ है फेमस मक्का है नामचीन 
ख़ास बहुत है आम हमारे शहर में 

सड़कों से निकल के जाम, 
है ग्लास में फँस जाता 
ऐसे है कटती शाम हमारे शहर में 
           ~Shailendra Kumar Mani

हिन्दी ग़ज़ल 'शहर की शाम'

फैला दो पैगाम हमारे शहर में भीषण लगा है जाम हमारे शहर में धूप में हो बारिश सर्दी में चले पंखा   किस्से हैं यूँ तमाम हमारे शहर में माथे में द...