Saturday, August 14, 2021

धड़कनों से लिपटना ♥️

 हम तुमको चाहते

तुम्हें तुमसे मांगते

कर इतना तू करम

दे दिल को राहतें

तू ज़रूरी है इतना

जैसे दिल का धड़कना

तेरे दिल में रहकर

है धड़कनों से लिपटना


राहों में काँटे ही काँटे थे

तब तुमने उनको निकले थे

जब से तुम नजरों में आई हो 

तब से तुम मुझमे समाई हो 

फैसला, कर मेरे प्यार का 

दे सिला, अब इंतज़ार का 

तू ज़रूरी है इतना 

जैसे दिल का धड़कना 

तेरे दिल में रहकर 

है धड़कनों से लिपटना 


वादा है, तुझसे ये वादा है 

तू मुझमें, मुझसे भी ज्यादा है 

मिलके तू, ना बिछड़ना कभी 

राहों से, मेरी ना मुड़ना कभी 

सदा रहें हम इस कदर 

जैसे लहरें और सागर 

तू ज़रूरी है इतना 

जैसे दिल का धड़कना 

तेरे दिल में रहकर 

है धड़कनों से लिपटना 


~Shailendra Kumar Mani 





No comments:

Post a Comment

हिन्दी ग़ज़ल 'शहर की शाम'

फैला दो पैगाम हमारे शहर में भीषण लगा है जाम हमारे शहर में धूप में हो बारिश सर्दी में चले पंखा   किस्से हैं यूँ तमाम हमारे शहर में माथे में द...