Sunday, August 15, 2021

मैं पतंग तू है डोर

मेरे  इश्क़ मेरे

दिल का करार हो तुम

वो जो होता है

पहला सा प्यार हो तुम

खिलती कली सी हो

महकी बयार हो तुम

तपती ज़मीं की ख़ातिर

पहली फुहार हो तुम

तेरी आँखों से नजर जो मिली

दिल पे चली जैसे मीठी छुरियां

मैं पतंग तू है डोर

ले जा चाहे जिस ओर

मुझमें रात का अंधेरा

तू है मोतियों सी भोर

साथिया... बेलिया...

ओ पिया.. ओ पिया...


मौजूदगी तेरी महफ़िल के जैसी

प्यासे को जैसे कोई दरिया मिले

भटका हुआ हो मंज़िल से राही

राही को जैसे कोई ज़रिया मिले 

तू मिल गई है तो, सब मिल गया 

था जो नहीं मेरा, अब मिल गया 

मैं पतंग तू है डोर 

ले जा चाहे जिस ओर 

मुझमें रात का अंधेरा 

तू है मोतियों सी भोर 

साथिया... बेलिया... 

ओ पिया.. ओ पिया...



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