क्या हुआ क्या हुआ
जो अधूरा रहा
मेरे दिल का शहर
और इश्क़ का सफ़र
मेरे दिल में अंधेरा
ठहरा जो अब तक
तेरी यादों से एक लौ
जल जायेगी
मोम सी रात है
ठहरेगी कब तक
याद की आंच से
रात पिघल जायेगी
इसलिए तेरी यादों में
डूबा रहा
क्या हुआ क्या हुआ
जो अधूरा रहा
मेरे दिल का शहर ...
और इश्क़ का सफ़र...
ग़म मेरा अब मेरा
ठिकाना बना
बस ज़रूरत ज़ख्मों को
सीने की है
बस गई है मेरी
सांसों में तू
बस यही एक वजह
मेरे जीने की है
इस तसल्ली से दिल में
नूर आ रहा
क्या हुआ क्या हुआ
जो अधूरा रहा
मेरे दिल का शहर...
और इश्क़ का सफ़र...
Love song
~Shailendra Kumar Mani
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